Tirumala Laddu : आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद लड्डू में मिलावट को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। मौजूदा सरकार ने आरोप लगाया है कि पिछली वाईएसआर (YSR) सरकार के दौरान लड्डू प्रसाद में मिलावट की गई थी। हालांकि, वाईएसआर पार्टी ने इन सभी आरोपों का खंडन किया है। इस विवाद के कारण मामला अब अदालत तक पहुंच चुका है। हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करने का फैसला किया है और केंद्र सरकार ने भी इस पर रिपोर्ट मांगी है।
तिरुपति बालाजी मंदिर और तिरुमला लड्डू का इतिहास
तिरुपति बालाजी मंदिर, जो आंध्र प्रदेश के तिरुमला की पहाड़ियों में स्थित है, भगवान विष्णु के अवतार वेंकटेश्वर को समर्पित है। यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके लड्डू प्रसाद के लिए भी विश्वभर में प्रसिद्ध है। तिरुमला लड्डू का इतिहास 300 साल पुराना है और यह मंदिर का प्रतीक बन चुका है। पल्लव राजवंश के समय से लड्डू चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है और बाद में विजयनगर साम्राज्य के दौरान इसे औपचारिक रूप दिया गया।
लड्डू के वर्तमान स्वरूप की शुरुआत 1940 में हुई थी, जब गोल आकार का लड्डू प्रसाद बनना शुरू हुआ। यह पवित्र मिठाई तिरुमाला आने वाले हर भक्त के लिए महत्वपूर्ण है, और हर भक्त इसे प्रसाद के रूप में अपने घर ले जाता है।
लड्डू निर्माण की प्रक्रिया
तिरुमला लड्डू का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जाता है। रोजाना लगभग एक टन बेसन, 10 टन चीनी, 700 किलो काजू, 500 किलो मिश्री, और 300-500 लीटर घी का उपयोग होता है। 1984 में लड्डू बनाने की प्रक्रिया में लकड़ी की जगह एलपीजी का उपयोग शुरू हुआ, और अब हर दिन लगभग 2.5 लाख लड्डू बनाए जाते हैं।
लड्डू को 2009 में भौगोलिक संकेत (GI) का दर्जा प्राप्त हुआ, जिससे यह एक विशिष्ट पहचान के रूप में देखा जाने लगा। तिरुमाला में तीन प्रकार के लड्डू चढ़ाए जाते हैं – अस्थानम लड्डू, कल्याणोत्सवम लड्डू, और प्रोक्तम लड्डू।
लड्डू में मिलावट का खुलासा कैसे हुआ?
विवाद की शुरुआत तब हुई जब लड्डू की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे। नायडू सरकार के कार्यकाल में, जून 2024 में श्यामला राव को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उन्होंने लड्डू की गुणवत्ता की जांच के लिए एक चार सदस्यीय समिति का गठन किया। रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि लड्डू बनाने में इस्तेमाल किए गए घी में पशु वसा और मछली के तेल जैसी चीजों का उपयोग किया गया था।
यह खुलासा होते ही धार्मिक और राजनीतिक हलकों में हड़कंप मच गया। लड्डू प्रसाद, जिसे भक्तगण अत्यंत पवित्र मानते हैं, में ऐसी मिलावट का होना विश्वासघात जैसा माना गया।
जगन सरकार पर आरोप और प्रतिक्रिया
लड्डू में मिलावट का आरोप जगन मोहन रेड्डी सरकार के कार्यकाल के दौरान लगाया गया था। विपक्षी दल वाईएसआर कांग्रेस ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने इसे राजनीतिक साजिश करार दिया है। साथ ही, वाईएसआर पार्टी ने मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया है। हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगा।
आगे क्या होगा?
केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश सरकार से इस पूरे मामले पर रिपोर्ट मांगी है। एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) इस मामले की जांच करेगा और लैब रिपोर्ट की भी समीक्षा करेगा। इसके अलावा, टीटीडी ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
टीटीडी के कार्यकारी अधिकारियों ने नए निविदा नियमों के तहत उच्च गुणवत्ता वाले घी की खरीद सुनिश्चित करने के सुझाव दिए हैं। इन नियमों का पालन करने से लड्डू की गुणवत्ता बनाए रखने की कोशिश की जाएगी।
निष्कर्ष
तिरुमला लड्डू विवाद ने न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से भी बड़ा मुद्दा बना लिया है। लड्डू की गुणवत्ता में गिरावट के आरोपों से जुड़ी यह घटना आंध्र प्रदेश की राजनीति में नए मोड़ ला सकती है। जहां एक ओर धार्मिक संगठनों ने कड़ी कार्रवाई की मांग की है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल इसे राजनीति से प्रेरित बताते हुए अपने बचाव में लगे हुए हैं। आने वाले समय में इस मामले पर केंद्र और राज्य सरकार की जांच के परिणाम से स्थिति और स्पष्ट हो जाएगी।