नागालैंड के रहने वाले और लैंडमाइन ब्लास्ट से बचे भारतीय सेना के पूर्व हवलदार, होकाटो सेमा (Hokato Sema) ने पैरालंपिक्स 2024 में भारत के लिए इतिहास रच दिया। उन्होंने पुरुषों के एफ57 शॉट पुट प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक जीता। सेमा ने 14.40 मीटर की दूरी के साथ यह उपलब्धि हासिल की, जो उनकी अब तक की सर्वश्रेष्ठ थ्रो रही। नागालैंड के दीमापुर (Dimapur) के रहने वाले सेमा का सफर चुनौतियों से भरा रहा है, लेकिन उनकी दृढ़ता और मेहनत ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है।
सेना में सेवा के दौरान हुआ हादसा
होकाटो सेमा (Hokato Sema) भारतीय सेना में हवलदार थे और 2002 में नियंत्रण रेखा (LoC) पर ऑपरेशन के दौरान लैंडमाइन ब्लास्ट में अपना पैर खो बैठे थे। इस हादसे ने उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल दी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। पुणे के आर्टिफिशियल लिम्ब सेंटर (Artificial Limb Centre) में एक वरिष्ठ अधिकारी के प्रोत्साहन पर उन्होंने शॉट पुट में हाथ आजमाया और इसे अपना करियर बनाने का फैसला किया।
2016 में खेल की शुरुआत
होकाटो सेमा ने 2016 में 32 साल की उम्र में शॉट पुट खेलना शुरू किया। उसी साल उन्होंने जयपुर में आयोजित राष्ट्रीय पैरा चैंपियनशिप में भाग लिया और अपना खेल करियर शुरू किया। उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें तेजी से आगे बढ़ाया और जल्द ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का प्रतिनिधित्व किया।
पैरालंपिक्स 2024 में कांस्य पदक जीतना
पैरालंपिक्स 2024 में होकाटो सेमा (Hokato Sema) ने 14.40 मीटर की थ्रो के साथ कांस्य पदक अपने नाम किया। इस प्रदर्शन के साथ उन्होंने अज़रबैजान के ओलोकहान मुसायेव (Olokhan Musayev) द्वारा बनाए गए 13.49 मीटर के पिछले पैरालंपिक रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया। इस प्रतियोगिता में ईरान के यासीन खोस्रावी (Yasin Khosravi) ने 15.96 मीटर की थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता, जबकि ब्राज़ील के थियागो डॉस सैंटोस (Thiago dos Santos) ने 15.06 मीटर की थ्रो के साथ रजत पदक प्राप्त किया।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अन्य सफलताएं
यह पहली बार नहीं है जब होकाटो सेमा (Hokato Sema) ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया है। उन्होंने 2022 में मोरक्को ग्रां प्री में रजत पदक जीता था और इस साल की विश्व चैंपियनशिप में चौथा स्थान प्राप्त किया था। उनके निरंतर प्रदर्शन ने उन्हें विश्व स्तर पर एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है।
एफ57 वर्ग की चुनौतियां
पैरालंपिक्स में एफ57 वर्ग उन एथलीटों के लिए है जो बैठी हुई स्थिति में प्रतिस्पर्धा करते हैं। इस स्थिति में शॉट पुट में भाग लेना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि थ्रोअर आमतौर पर गति पाने के लिए घूमते हैं और तेज़ कदमों से कदम बढ़ाते हैं। लेकिन बैठे हुए स्थिति में एथलीट को केवल अपने ऊपरी शरीर की ताकत से ही थ्रो करना होता है, जो इस खेल को और भी कठिन बना देता है। होकाटो सेमा ने इन चुनौतियों को पार करते हुए अपने अद्वितीय प्रदर्शन से कांस्य पदक जीता।
होकाटो सेमा की प्रेरणादायक यात्रा
होकाटो सेमा (Hokato Sema) की यात्रा संघर्ष और दृढ़ता की कहानी है। अपने दुर्घटना के बाद, उन्होंने खेल के माध्यम से खुद को फिर से स्थापित किया और अपनी कड़ी मेहनत से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। उनका कांस्य पदक न केवल उनके करियर की एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह उन सभी के लिए प्रेरणा है जो जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
पैरालंपिक्स 2024 में भारत ने अब तक 27 पदक जीते हैं, जिनमें 12 कांस्य, 9 रजत और 6 स्वर्ण पदक शामिल हैं। होकाटो सेमा का यह पदक न केवल भारत के लिए गर्व की बात है, बल्कि उनके व्यक्तिगत करियर में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है।